खण्ड-I: सैद्धांतिक परिवेश: 1. अंतर्राष्ट्रीय संबंध का परिचय, 2. यथार्थवाद, 3. नव-यथार्थवाद, 4. उदारवाद और नव-उदारवाद, 5. विश्व व्यवस्था और निर्भरता, 6. नारीवादी उपागम, खण्ड-II: ऐतिहासिक विहंगम दृष्टि: 7. प्रथम विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि, 8. पेरिस सम्मेलन और शांति संधियाँ, 9. राष्ट्रसंघः संरचना तथा कार्य, 10. सुरक्षा की खोज, 11. क्षतिपूर्ति, ऋण तथा आर्थिक संकट, 12. रूस की क्रांति, 13. इटली में फ़ासीवाद, 14. सुदूर पूर्व, 15. नात्सी जर्मनी का उदयः तृतीय रीख़, 16. नात्सी जर्मनी का विस्तार, 17. तुष्टीकरण और युद्ध की पूर्वपीठिका, 18. द्वितीय विश्व युद्ध, 19. राष्ट्रसंघ—एक शांति संस्थापक, 20. युद्धकालीन सम्मेलन, 21. संयुक्त राज्य अमेरिका की विदेश नीति, 22. सोवियत संघ की विदेश नीति, 23. शीत युद्ध, 24. चीन में साम्यवाद तथा कोरिया में युद्ध, 25. उपनिवेशवाद उन्मूलनः तृतीय विश्व का उदय, 26. तनाव शौथिल्य और शीत युद्ध का अंत, 27. गुट—निरपेक्षता, 28. संयुक्त राष्ट्र, 29. क्षेत्रीय संगठनः शक्ति के उभरते केंद्र
• पूर्णतया परिवर्धित और संशोधित
• छह नये अध्याय हैं
• सैद्धांतिक पहलू-यथार्थवाद, नव-यथार्थवाद, उदारवाद, नव-उदारवाद, विश्व-व्यवस्था और निर्भरता तथा नारीवाद उपागम-सम्मिलित किया गया है
• हाल में घटी ऐतिहासिक घटनाएं-जैसे खाड़ी युद्ध-भी सम्मिलित की गई हैं